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देश में बिना डिग्री, बिना रेज़्युमे नौकरी देने का बढ़ रहा चलन... आखिर क्या देखकर जॉब ऑफर कर रहीं कंपनियां?

https://www.livemint.com/hindi/trends/new-hiring-strategy-in-india-on-trend-where-no-resume-cv-is-required-companies-prefer-skills-over-degrees-241743497450005.html अब भारत में बिना डिग्री और बिना रेज़्युमे नौकरी मिलना संभव हो गया है। Zerodha, IBM, Tata जैसी कंपनियां अब स्किल-बेस्ड हायरिंग को अपना रही हैं। स्टार्टअप Smallest.ai ने बिना डिग्री वाले कैंडिडेट्स को 40 लाख रुपये सालाना तक की नौकरी दी।

सोचिए, बिना किसी कॉलेज डिग्री और बिना रेज़्युमे के भी आपको करोड़ों की नौकरी मिल सकती है। जी हां, भारत में अब कंपनियां पारंपरिक डिग्री और प्रमाणपत्रों की जगह असली टैलेंट और स्किल्स को ज़्यादा अहमियत देने लगी हैं। यह बदलाव सिर्फ छोटे स्टार्टअप्स तक सीमित नहीं है, बल्कि IBM, Zerodha और Tata जैसी बड़ी कंपनियां भी इसे अपना रही हैं। 

इकनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह ट्रेंड भारत में तेजी से बढ़ रहा है, जहां कंपनियां अब हायरिंग के लिए केवल स्किल्स और काबिलियत पर ध्यान दे रही हैं। आखिर क्यों कंपनियां डिग्री से ज़्यादा स्किल्स को महत्व दे रही हैं? क्या यह बदलाव भारत के नौकरी बाजार की तस्वीर बदल सकता है? आइए, जानते हैं इस नई हायरिंग स्ट्रेटेजी की पूरी कहानी।

नौकरी की नई परिभाषा

पिछले महीने एक X पोस्ट ने हजारों लोगों का ध्यान खींचा। Sudarshan Kamath, जो Smallest.ai के संस्थापक हैं, उन्होंने एक फुल-स्टैक इंजीनियर के लिए नौकरी पोस्ट की, जिसमें लिखा था – "कॉलेज मायने नहीं रखता, रेज़्युमे की ज़रूरत नहीं" और इस पोस्ट पर 7,000 से ज़्यादा आवेदन आ गए।

Smallest.ai की टीम में कई ऐसे लोग काम कर रहे हैं जो कभी कॉलेज नहीं गए या पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी। फिर भी वे अपने उन साथियों से कम नहीं हैं जो IITs, IIITs और VIT जैसी प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी से आए हैं।

Smallest.ai के को-फाउंडर अक्षत मंडलोई कहते हैं, "हम हर टैलेंट को मौका देना चाहते हैं, चाहे वह सेल्फ-टॉट हो या कॉलेज डिग्री वाला। हमारे लिए असली काबिलियत प्रोजेक्ट्स और स्किल्स में दिखनी चाहिए, न कि सिर्फ एक कागज़ के टुकड़े पर।"

यह ट्रेंड सिर्फ एक स्टार्टअप तक सीमित नहीं है, बल्कि देश की कई दिग्गज कंपनियां भी इसी दिशा में आगे बढ़ रही हैं।

बड़ी कंपनियों का नया फॉर्मूला

 Zerodha का मानना है कि फाइनेंस सेक्टर में डिग्री से ज़्यादा ज़रूरी है क्यूरोसिटी (सीखने की जिज्ञासा)। उनकी हायरिंग प्रक्रिया में सर्टिफिकेशन नहीं, बल्कि उम्मीदवार के सीखने और अप्लाई करने की क्षमता को ज़्यादा महत्व दिया जाता है।

IBM में हायरिंग का फोकस अब डिग्री से हटकर "New Collar Jobs" पर है। कंपनी के VP, थिरुकुमारन नागराजन का कहना है, "AI और नो-कोड/लो-कोड प्रोग्रामिंग की वजह से पारंपरिक डिग्री का महत्व घट रहा है। अब स्किल्स और एटीट्यूड ही सबसे अहम चीज़ें बन गई हैं।" IBM नए टैलेंट को खोजने के लिए हैकाथॉन और प्रोजेक्ट-बेस्ड हायरिंग जैसे तरीके अपना रहा है।

Mobile Premier League (MPL) की हायरिंग रणनीति भी पारंपरिक रेज़्युमे से हटकर है। उनके "Head of People" गौरव कृपलानी कहते हैं, "हमारे लिए डिग्री मायने नहीं रखती, बल्कि यह देखना ज़रूरी है कि उम्मीदवार असल दुनिया की समस्याओं को कैसे हल करता है।"

Raymond Group के HR प्रेसिडेंट, केए नारायण के अनुसार, “स्किल-बेस्ड हायरिंग की ओर एक बड़ा बदलाव हो रहा है। हमारी हायरिंग प्रक्रिया में स्किल्स हमेशा से शामिल थे, लेकिन अब हम इसे और अधिक सटीक बनाने के लिए स्किल मैट्रिक्स का उपयोग करेंगे। इसके अलावा, AI की मदद से हायरिंग प्रक्रिया और आसान हो जाएगी।”

भारत में स्किल-बेस्ड हायरिंग का बढ़ता ट्रेंड

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की 2025 जॉब्स रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 30% कंपनियां अब स्किल्स-आधारित हायरिंग को अपना रही हैं, जबकि ग्लोबल स्तर पर यह आंकड़ा 19% ही है। Tata Communications जैसी कंपनियों ने भी डिग्री की जगह "स्किल-बेस्ड हायरिंग" को प्राथमिकता देनी शुरू कर दी है। Zetwerk जैसी कंपनियों का मानना है कि बिजनेस और सेल्स रोल्स में कैंडिडेट का एडैप्टिबिलिटी, एटीट्यूड और प्रॉब्लम-सॉल्विंग स्किल्स ही सबसे ज़रूरी हैं।

क्या अब डिग्री पूरी तरह बेकार हो जाएगी?

बेशक, यह कहना जल्दबाज़ी होगी कि डिग्री की अहमियत पूरी तरह खत्म हो गई है। लेकिन कंपनियां अब सिर्फ डिग्री देखकर जॉब नहीं दे रहीं, बल्कि असली टैलेंट और प्रैक्टिकल स्किल्स पर ध्यान दे रही हैं। यह बदलाव भारत के लाखों युवाओं के लिए एक बड़ा अवसर हो सकता है, खासकर उनके लिए जिनके पास महंगी डिग्री नहीं है, लेकिन टैलेंट और मेहनत की कोई कमी नहीं।

तो अगर आप भी बिना डिग्री के अच्छी नौकरी पाना चाहते हैं, तो अपने स्किल्स पर काम करें, प्रोजेक्ट्स बनाएं और कंपनियों को दिखाएं कि आप क्या कर सकते हैं। क्योंकि अब डिग्री नहीं, काबिलियत ही आपकी असली पहचान बनेगी।